लेकिन, इसका अर्थ यह भी नहीं हुआ कि किसानों के खाते में इस बार वित्तमंत्री ने कुछ भी नहीं दिया। किसानों की झोली दूसरे तरीकों से भरने की कोशिश की गई है। इसमें बड़ा तथ्य है 2.37 लाख करोड़ रुपये MSP में खर्च करने की योजना। यह धनराशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी, फसल के एवज में।
ड्रोन की मदद से खेती
गौर से देखें तो खेती-बाड़ी करने वालों के लिए इस बजट में ऐसी बहुत सारी व्यवस्थाएं हैं जिन पर अमल करके वे काफी आगे बढ़ सकते हैं। जैसे, अब खेती में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। वित्त मंत्री की यह मान्यता रही है कि अगर ड्रोन आधारित खेती हुई तो निश्चित तौर पर किसानों का वक्त बचेगा और खेती की जो एक्यूरेसी है, वह बढ़ेगी। मतलब यह हुआ कि अब ड्रोन की मदद से किसान कम समय में ही यह जान सकेंगे कि उनकी फसलों की स्थिति क्या है और यह भी कि फसलों को दवा कब देनी है, कितनी देनी है, उसकी एक्यूरेसी क्या होनी चाहिए, यह सब ड्रोन की मदद से बेहद आसानी के साथ किया जाएगा।
इसके साथ ही वित्तमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया है। पिछले बजट में भी उन्होंने कहा था कि जब तक किसानी को पढ़ाई से नहीं जोड़ा जाएगा, किसानों को शिक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों की आय बढ़ नहीं सकती। पिछले साल का संकल्प इस साल पूरा करते हुए उन्होंने कई कृषि विश्वविद्यालय खोलने की बातें अपने बजट भाषण में कही हैं। माना जाता है कि जब ये कृषि विश्वविद्यालय खुल जाएंगे तो किसानों को जमीन की उर्वरकता, खेती के तौर-तरीके आदि को आधुनिक रूप में समझने में बेहद मदद मिलेगी। वित्त मंत्री का कृषि विश्वविद्यालयों पर जोर इस बात का भी संकेतक है कि वह किसानों को खेती-बाड़ी की पढ़ाई करती हुई देखना चाहती हैं। यह जरूरी भी है।
आर्गेनिक खेती (Organic Farming) पर जोर
इस बजट में एक बड़ी बात आर्गेनिक खेती को लेकर भी हुई है। वित्त मंत्री ने कहा है कि अभी पहले चरण में गंगा नदी के पांच किलोमीटर के इलाके में आर्गेनिक खेती की जाएगी। इससे आर्गेनिक खेती को तो बढ़ावा मिलेगा ही, जो पैदावार होगी, वह आम लोगों को भी फायदा पहुंचाएगी। आर्गेनिक खेती में किसी भी किस्म का रसायन इस्तेमाल नहीं होता। इस किस्म की खेती को जीरो बजट खेती भी कहते हैं जिसे कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे आचार्य वेदव्रत ने जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ाया। माना जा रहा है कि आर्गेनिक खेती का मूल कांसेप्ट उन्हीं का है जिससे प्रधानमंत्री भी सहमत थे। वही चीज आज के बजट में भी प्रभावी तरीके से सामने आई है।
बेतवा परियोजना
इस बजट में अनेक नदियों के किनारे विभिन्न किस्म की परियोजनाओं को भी शुरू करने की बात कही गई है। मध्य प्रदेश के बेतवा परियोजना के लिए 44650 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। मकसद यह है कि देश भर के करीब 10 लाख हेक्टेयर भूमि को खेती योग्य जल उपलब्ध हो।
वित्तमंत्री ने किसानों को और राहत देने की पेशकश की है। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा है कि सरकार चाहती है कि किसानों की अधिकांश फसल वह खुद खरीद ले ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022-23 तक केंद्र सरकार किसानों से 1000 एमएलटी धान की फसल खरीदे।
एग्रो फारेस्ट्री
इस बजट में एग्रो फारेस्ट्री को लेकर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाला वक्त एग्रो फारेस्ट्री का है। जो भी किसान इस क्षेत्र में आना चाहें, सरकार उनकी मदद करेगी। पैसे देगी। उन्हें अन्य तरीकों से भी सहयोग करेगी। सब्सिडी देने की बात चल रही है।
कृषि से ही जुड़े ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भी इस बजट में काफी बातें कही गई हैं। उनमें अहम है, देश भर के सभी गांवों में 2025 तक आप्टिकल फाइबर बिछा देना। वित्त मंत्री ने कहाः यह बेहद उम्दा योजना है। हम चाहते हैं कि देश के जितने भी गांव हैं, उन सभी गांवों में आप्टिकल फाइबर बिछाया जाए ताकि हर गांव इंटरनेट से कनेक्टेड हो। उनका कहना था कि अभी इंटरनेट की कमी के कारण देश के गांवों का एक बड़ा हिस्सा तकनीकी ज्ञान और कृषि संबंधी जानकारियों सहित अनेक फायदों और सुविधाओं से अनभिज्ञ रह जाता है। केंद्र सरकार चाहती है कि कृष् और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में काम हो और तेजी से हो। हमें पूरा विश्वास है कि देश के सभी गांव 2025 तक इंटरनेट की सुविधा से युक्त हो जाएंगे। एक बार जब वह इंटरनेट की सुविधा से जुड़ जाएंगे तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।
केसीसी पर कोई चर्चा नहीं
वैसे, इस बजट से किसान यह उम्मीद लगा रहे थे कि केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की क्रेडिट क्षमता बढ़ा दी जाएगी लेकिन फिलहाल इस पर बजट में कोई चर्चा नहीं हुई। इससे किसानों में थोड़ी मायूसी देखी गई।
प्रतिक्रियाएं
सरकार जब तक MSP गारंटी कानून नहीं बताती, किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इस बजट में MSP गारंटी कानून की कोई बात ही नहीं कही गई। -राकेश टिकैत, किसान नेता
यह बजट भविष्य का बजट है। यह एग्रीकल्चर सेक्टर को पूरी तरह बदल कर रख देगा। इस बजट की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें कृषि क्षेत्र में पढ़ाई को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। यह अच्छी बात है। आप जब पढ़-लिख कर खेती करेंगे तो निश्चित तौर पर आप बढ़िया से खेती करेंगे, बढ़िया आमदनी होगी आपकी। आप सोचिए कि सरकार 2025 तक किसानों को हर गांव में आप्टिकल फाइबर तकनीक देने जा रही है। इसका सीधा असर किसानों, उन्के बच्चों या यूं कहें कि पूरे परिवार, पूरे इलाके में होगा। यह किसानों के लिए अब तक का बेहतरीन बजट है। -प्रोफेसर सीएन बी शर्मा, कृषि अर्थशास्त्री
कृषि मंत्रालय के अनुसार, किसान ऋण डिजिटल प्लेटफॉर्म-किसान डेटा, ऋण वितरण विशिष्टताओं, ब्याज छूट के दावों एवं योजना उपयोग की प्रगति पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। यह वेबसाइट कृषि ऋण के लिए बैंकों के साथ सहज एकीकरण को प्रोत्साहन देगा। भारत में फिलहाल 7.35 करोड़ KCC अकाउंट है। इनको 8.85 लाख करोड़ बांटा जा चुका है। एक बयान में यह बताया गया है, कि 30 मार्च तक तकरीबन 7.35 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते हैं, जिनकी समकुल स्वीकृत धन सीमा 8.85 लाख करोड़ रुपये है।
अप्रैल से लेकर अगस्त तक 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया गया।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान रियायती ब्याज दर पर 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया है। केसीसी के फायदे को बढ़ाने के लिए घर-घर अभियान, केंद्रीय योजना ‘पीएम-किसान' के गैर-केसीसी धारकों तक पहुंचेगा, जिसके अंतर्गत प्रत्येक चिन्हित लाभार्थी किसान के बैंक खाते में प्रतिवर्ष 6,000 रुपये दिए जाते हैं।
किसान भाइयों यदि आप कम ब्याज पर कृषि ऋण लेना चाहते हैं, तो आपके पास पहचान प्रमाण पत्र जैसे कि मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि होना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही जमीन के दस्तावेज और आवेदक का पासपोर्ट साइज का फोटो होना भी बेहद जरूरी होता है।
किसान भाईयों को आवेदन करने के लिए प्रमाण पत्र, फोटो और भरा हुआ आवेदन पत्र बैंक में जमा करने पर किसान क्रेडिट कार्ड जारी होगा। आवेदन पत्र जमा करने के 15 दिन के भीतर KCC जारी हो जाएगा।
केसीसी लोन की ब्याज दर दो फीसद से लेकर औसतन 4 फीसद तक होती है
केसीसी लोन ब्याज दो प्रतिशत से आरंभ होती है। ये औसतन 4 प्रतिशत तक जाता है। ब्याज दर इस बात पर भी निर्भर करती है, कि किसान भाई केसीसी का लोन कितने समय में चुका पाते हैं। अगर किसान भाई कम वक्त में ही भुगतान करें, तो उन्हें तीन लाख रुपये तक का कर्ज बेहद ही आसान 4 प्रतिशत की दर से मिल सकता है। इसके साथ-साथ इसमें इंश्योरेंस का फायदा भी किसानों को मिलता है।